ईसार का अजीब वाकिआ
वाक़िदी रह़िमहुल्लाह कहते हैं कि मेरे दो दोस्त थे, एक हाशमी और एक गैर हाशमी, हम तीनों में ऐसे गहरे ताल्लुक़ात थे कि एक जान, तीन कालिब थे।
मेरे ऊपर सख़्त तंगी थी, ईद का दिन आ गया, बीवी ने कहा कि हम तो हर हाल में सब्र कर लेंगे मगर ईद करीब आ गयी, बच्चों के रोने और ज़िद करने ने मेरे दिल के टुकड़े कर दिये ये मौहल्ले के बच्चों को देखते हैं कि वो उम्दा-उम्दा लिबास और सामान ईद के लिये ख़रीद रहे हैं और ये फटे पुराने कपड़ों में फिर रहे हैं, अगर कहीं से तुम कुछ ला सकते हो तो ला दो, इन बच्चों के हाल पर मुझे बहुत तरस आता है, मैं इन के भी कपडे बना दूं।
मैंने बीवी की यह बात सुन कर अपने हाशमी दोस्त को पर्चा लिखा, उसमें सूरते-हाल ज़ाहिर की, इसके जवाब में उसने सर ब-मुहर एक थैली मेरे पास भेजी और कहा कि इस में एक हज़ार दिरम हैं तुम इनको ख़र्च कर लो।
मेरा दिल इस थैली से ठंडा भी न होने पाया था कि मेरे दूसरे दोस्त का पर्चा मेरे पास इसी किस्म के मज़्मून का; जो मैं ने अपने हाशमी दोस्त को लिखा था, आ गया, मैंने वह थैली सर ब-मुहर उसके पास भेज दी और बीवी की शर्म से घर में जाने की हिम्मत न हुई। मस्जिद में चला गया और दो दिन रात मस्जिद ही में रहा, शर्म की वजह से घर न जा सका।
तीसरे दिन मैं घर गया और बीवी से सारा किस्सा सुना दिया, उसको ज़रा भी नागवार न हुआ, न उसने कोई हर्फ़ शिकायत का मुझसे कहा बल्कि मेरे इस फेल को पसंद किया और कहा कि तुमने बहुत अच्छा किया।
मैं बात ही कर रहा था कि मेरा वह हाशमी दोस्त वही सर ब-मुहर थैली हाथ में लिये आया और मुझसे पूछने लगा कि सच-सच बताओ, इस थैली का क्या किस्सा हुआ।
मैंने उस वाकिए को सुना दिया। इसके बाद उस हाशमी ने कहा कि जब तेरा पर्चा पहुंचा तो मेरे पास इस थैली के सिवा कोई चीज़ बिल्कुल नहीं थी, मैंने यह थैली तेरे पास भेज दी।
इसके बाद मैंने तीसरे दोस्त को पर्चा लिखा, तो उसने जवाब में यही थैली मेरे पास भेजी, इस पर मुझे बहुत ताज्जुब हुआ कि यह तो मैं तेरे पास भेज चुका था, यह तीसरे दोस्त के पास कैसे पहुंच गयी। इसलिये मैं तहक़ीक़ के वास्ते आया था।
वाक़िदी रह़िमहुल्लाह कहते हैं कि हमने उस थैली में से सौ दिरम तो उस औरत को दे दिये और नौ सो दिरम हम तीनों ने आपस में बांट लिये।
इस वाकिए की किसी तरह मामून रशीद को ख़बर हो गयी, उसने मुझे बुलाया और मुझ से सारा किस्सा सुना, उसके बाद मामून रशीद ने सात हज़ार दिरम दिये। दो दो हज़ार हम तीनों को और एक हज़ार औरत को।