इद्दत की सुन्नतें और आदाब – ५

हके-हिज़ानत – बच्चों की परवरिश का हक

अलाहिदगी या तलाक की हालत में, बच्चों की परवरिश का हक मां को हासिल होगा, जब तक वो शादी न कर ले। अगर वो किसी ऐसे शख़्स से शादी कर ले जो बच्चो की गैर-महरम हो, तो वो बच्चो की परवरिश का हक खो देगी।

उसके बाद बच्चो की परवरिश का हक बच्चो की नानी को हासिल होगा, अगर वो जिन्दा हो और अगर नानी का इन्तिक़ाल हो चुका हो तो बच्चो की परवरिश का हक बच्चो की दादी को हासिल होगा।

अगर वो लडका हो तो बाप को उस की परवरिश का हक उस वक़्त हासिल होगा, जब वो सात साल का हो जायेगा और अगर लड़की हो तो बाप को उस की परवरिश का हक उस वक़्त हासिल होगा जब वो नव साल की हो जायेगी।

बच्चो के खर्च बाप पर लाज़िम हैं। खर्च यह है कि बाप बच्चो की बुनियादी ज़रूरतें (खाना, कपड़ा और रहना वगैरह) को पूरा करे।
इसी तरह बाप की यह भी ज़िम्मेदारी है कि वो बच्चो की सही तालीम और तरबियत का बंदोबस्त करे।

लिहाज़ा बच्चो के सब खर्च बाप अपनी मआशी हैसियत के मुताबिक बर्दाश्त करे।

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