हज़रत मौलाना इलियास साहब रह़िमहुल्लाह ने एक मर्तबा इर्शाद फ़रमाया:
अपनी तही-दस्ती का यकीन (यानी अपने ना-अहल होने का यकीन) ही कामयाबी है। कोई भी अपने अमल से कामयाब न होगा। महज़ अल्लाह के फज़ल से कामयाब होगा।
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम फ़रमाते है:
لن يدخل الجنة احد بعمله قالوا ولا انت يا رسول الله قال ولا انا الا ان يتغمدني الله برحمته
तुम्हारा कोई अमल जन्नत में दाखिल नहीं करेगा। सहाबा-ए-किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम ने दर्याफ्त किया कि ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम! न आप भी (यानी आप सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का अमल भी आप को जन्नत में दाखिल नहीं करेगा?) रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने जवाब दिया: न मुझे भी, (यानी मेरे आमाल भी मुझे जन्नत में दाखिल नहीं करा सकते हैं) जब तक कि अल्लाह तआला मुझे भी अपने फ़ज़ल-व-करम से ढांप ले (और मुझे जन्नत नसीब फरमाए)।
यह हदीस पढ कर मौलाना खुद भी रोये और दूसरों को भी रुलाया। (मल्फूज़ात हज़रत मौलाना मुहम्मद इलियास रहिमहुल्लाह, पेज नंबर: ४८)