फज़ाइले-आमाल – २४

तीसरा बाब

सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम अज्मईन के ज़ुह्द्द और फ़क़र के बयान में

इस बारे में खुद नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अपना मामूल और वाक़िआत, जो इस अम्र पर दलालत करते हैं कि यह चीज हुज़र सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की खुद इख्तियार फ़रमायी हुई और पसन्द की हुई थी, इतनी कसरत से हदीस की किताबों में पाये जाते हैं कि उनका मिसाल के तौर पर भी जमा करना मुश्किल है।

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का इर्शाद है कि फ़क्र’ मोमिन का तोहफ़ा है।

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का पहाड़ों को सोना बना देने से इन्कार

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का इर्शाद है कि मेरे रब ने मुझ पर यह पेश किया कि मेरे लिए मक्का के पहाड़ों को सोना बना दिया जाये।

मैंने अर्ज़ किया: ऐ अल्लाह! मुझे तो यह पसन्द है कि एक दिन पेट भर कर खाऊं तो दूसरे दिन भूखा रहूं ताकि जब भूखा रहूं तो तेरी तरफ़ ज़ारी करूं और तुझे याद करूं और जब पेट भरूं तो तेरा शुक्र करूं, तेरी तारीफ़ करूं।

फायदा: यह उस ज़ाते-मुक़द्दस का हाल है, जिसके हम नाम लेवा हैं और उसकी उम्मत में होने पर फ़ख़र है, जिसकी हर बात हमारे लिए क़ाबिले-इत्तिबा है।

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