दज्जाल के दस जिस्मानी और इन्सानी लक्षण
मुबारक हदीस में नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने उम्मत के सामने दज्जाल के जिस्मानी और इन्सानी औसाफ़ बयान फ़र्माए हैं। रसूले-करीम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का दज्जाल के जिस्मानी और इन्सानी औसाफ़ को बयान करना इस हकीक़त की तरफ इशारा करता है कि दज्जाल एक इन्सान है; चुनांचे अहले-सुन्नत-वल-जमाअत का ‘अक़ीदा यह है कि दज्जाल एक इन्सान है और कयामत से पहले एक मुत’अय्यन (जो पहले से तय है) वक़्त पर उम्मत के लिए एक बड़े फित्ने के तौर पर दुनिया में ज़ाहिर होगा।
नीचे दज्जाल के दस जिस्मानी और इन्सानी औसाफ बयान किए जा रहे हैं, जिन को मुबारक हदीस में बयान किया गया है:
पहला लक्षण: दज्जाल के घुंघराले बाल होंगे
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु ‘अलैहि व-सल्लम ने फर्माया: एक रात मैंने (ख्वाब में) देखा कि मैं काबा के पास हूं, फिर मैंने गेहूं रंग के एक आदमी को देखा, जो गेहूं रंग वालों में सबसे ज़्यादा (ह़सीन) सुंदर थे उनके बाल उनके कानों और कंधों के दरम्यान थे। उन के बालों में कंघी की हूई थी और वहां से पानी की बूंदें टपक रही थीं, वे दो आदमियों के कंधों पर टेक लगाकर काबा का तवाफ कर रहे थे। मैंने पूछा कि यह कौन है? मुझे बताया गया कि ये मसीह़ (इसा) बिन मरयम (अलैहिस्सलाम) हैं। फिर मैंने सख्त घुंघराले बाल वाले एक पस्ता कद आदमी देखा, और वह दाहिनी (दाईं) आंख से काना था; और वह फूले हुए अंगूर की तरह लग रहा था। मैंने पूछा कि यह कौन है? मुझे बताया गया कि यह मसीह दज्जाल है। (सहीह मुस्लिम, अर्-रकम: 169)
(मसीह अर्थ मसीह इस्राइली ज़बान का एक लफ़्ज़ है असल में यह माशीह या मशीहा था जिस का मतलब भलाई करनार, कल्याण करनार होता है)
(पस्ता कद अर्थ ठिंगना, छोटे कद वाला, बौना)
दूसरा लक्षण: दज्जाल की आंखें ऐब-दार होंगी
(ऐब-दार अर्थ जिस में कोई ख़राबी हो)
दज्जाल की दोनों आंख ऐब-दार होगी; जो भी, एक आंख पूरे पूरी खाल (चमड़ी) से ढकी हुई होगी, जबकि दूसरी आंख अंगूर की तरह फूली हुई होगी (जैसा कि उपर की हदीस में बयान किया गया है।)
हदीस-शरीफ में आया है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने फ़र्माया: यकीनन मैं अच्छी तरह जानता हूं कि दज्जाल के पास क्या होगा। उस के साथ दो बहती हुई नहरें होंगी। उनमें से एक का पानी बिल्कुल साफ दिखाई देगा, जबकि दूसरी नहर साफ तौर पर भड़कती हुई आग दिखाई देगी। उस वक़्त अगर कोई वहां मौजूद हो, तो वह उस दरिया पर ज़रूर जाए, जिस को वह आग दिखे, फिर अपने सर को झुकाये और उसमें से पिये; क्यूंकि वह ठंडा पानी होगा। बेशक दज्जाल की आंख ढकी हुई होगी, उस पर खाल की एक मोटी झील होगी। उस की आंखों के दरम्यान काफिर का लफ्ज़ लिखा हुआ होगा, जिसे हर मोमिन पढ़ेगा, ख्वाह वह पढ़ा लिखा हो या अनपढ।
तीसरा लक्षण: दज्जाल पस्ता-कद और भारी जिस्म वाला होगा
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने फ़र्माया: बेशक मसीह़ दज्जाल पस्ता-कद होगा, उसकी एड़ियां दूर होगी और उसके पांव अंदर की तरफ होंगे, उसके बाल बहुत घुंघराले होंगे, उसकी एक आंख ऐब-दार होगी, और दूसरी आंख मिटी हुई होगी,(सपाट होगी) न उभरी हुई होगी और न अंदर घुसी हुई होगी। अगर तुम (दज्जाल के बारे में) शक में पड जाओ, तो तुम याद रखो कि तुम्हारा रब काना नहीं है (जब कि दज्जाल काना होगा)।
एक दूसरी हदीस में हज़रत तमीम दारी रज़ियल्लाहु ‘अन्हु ने दज्जाल के बारे में बयान करते हुए कहा: फिर अचानक उस में (यानी जज़ीरे पर जो गिरजा बना हुआ था, उस में) एक बहुत बड़े जिस्म वाला इंसान था, जिसे हमने देखा।
चौथा लक्षण: दज्जाल फिड्डा होगा
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु ‘अलैहि व-सल्लम ने फ़र्माया: बेशक मसीह़ दज्जाल पस्ता-कद होगा, फिड्डा होगा।
(फिड्डा अर्थ जिस के पांव में टेढ़ापन हो और चलते वक़्त आडे तिरछे पांव रखे, टेढ़े या बैठे हुए चलने वाला)
पांचवा लक्षण: दज्जाल के बाल बहुत ज़्यादह और घने होंगे
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु ‘अलैहि व-सल्लम ने फ़र्माया: दज्जाल की बाईं आंख कानी होगी और उस के बाल बहुत ज़्यादा घने होंगे। उस के साथ एक जन्नत और एक दोज़ख होगी। उसकी दोज़ख (असल में) जन्नत होगी और उसकी जन्नत (असल में) दोज़ख होगी।
छठा लक्षण: दज्जाल की पेशानी चोड़ी होगी
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु ‘अलैहि व-सल्लम ने फ़र्माया कि गुमराही का मसीह़ वह आदमी है, जिस की पेशानी चोड़ी होगी, बाईं आंख मिटी हुई होगी और गर्दन का निचला हिस्सा चोडा होगा; गोया कि वह ‘अब्दुल-‘उज़्ज़ा बिन क़त़न है।
सातवां लक्षण: दज्जाल की कोई औलाद नहीं होगी
सही मुस्लिम की हदीस में है कि क्या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु ‘अलैहि व-सल्लम ने यह नहीं फ़र्माया कि दज्जाल बांझ होगा और उस की कोई औलाद नहीं होगी।
आठवां लक्षण: दज्जाल का रंग साफ होगा
दज्जाल के बारे में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम से पूछा गया, तो आप ने फ़र्माया: मैंने उसे देखा कि वह मोटा और साफ रंगत वाला था। उस की एक आंख इस तरह फूली हुई थी, जैसे कि वह चमकता हुआ सितारा था। उस के बाल दरख़्त की शाखों की तरह थे।
नौवां लक्षण: दज्जाल की आँखों के दरम्यान लफ़्ज़ “काफिर” लिखा हुआ होगा
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने फ़र्माया: उस की आंखों के दरम्यान लफ़्ज़ “काफिर” लिखा हुआ होगा। हर मोमिन उसे पढ लेगा, चाहे वह पढ़ा लिखा हो या अनपढ।
दसवां लक्षण: ‘अब्दुल-‘उज़्ज़ा बिन क़त़न से हमशक्ल
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु ‘अलैहि व-सल्लम ने फ़र्माया: मैं उस को (दज्जाल को) ‘अब्दुल-‘उज़्ज़ा बिन क़त़न के हमशक्ल समझता हूं।
उपर दी गई हदीसों से जिन में दज्जाल के दस जिस्मानी लक्षण बयान किए गए हैं, हम समझते हैं कि दज्जाल एक इन्सान है। अगर दज्जाल एक आलमी निज़ाम होता या जिन होता या इन्सान और जिन दोनों का मिलाप होता तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम उस के जिस्मानी और इन्सानी लक्षण बयान न करते।