फज़ाइले-आमाल – २३

अल्लाह के ख़ौफ़ के मुतफर्रिक अह़्वाल

कुर्आन-शरीफ़ की आयात और हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की अह़ादीस और बुज़ुर्गों के वाक़िआत में अल्लाह जल्ल शानुहू से डरने से मुतअल्लिक जितना कुछ ज़िक्र किया गया है, उसका इह़ाता तो दुश्वार है लेकिन मुख़्तसर तौर पर इतना समझ लेना चाहिए कि दीन के हर कमाल का ज़ीना (सीढ़ी) अल्लाह का खौफ़ है।

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का इर्शाद है कि हिक्मत की जड़ अल्लाह का ख़ौफ़ है।

हज़रत इब्ने उमर रद़ियल्लाहु अन्हु बहुत रोया करते थे हत्ताकि रोते-रोते आंखें भी बेकार हो गई थीं। किसी शख्स ने एक मर्तबा देख लिया तो फ़रमाने लगे कि मेरे रोने पर ताज्जुब करते हो, अल्लाह के ख़ौफ़ से सूरज रोता है। एक मर्तबा ऐसा ही क़िस्सा आया तो फ़रमाया कि अल्लाह के ख़ौफ़ से चांद रोता है।

एक नव-जवान सहाबी रद़ियल्लाहु अन्हु पर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का गुज़र हुआ, वह पढ़ रहे थे। जब-

पर पहुंचे तो बदन के बाल खड़े हो गए, रोते-रोते दम घुटने लगा और कह रहे थे, हां, जिस दिन आसमान फट जावेंगे (यानी क़ियामत के दिन) मेरा क्या हाल होगा? हाय मेरी बर्बादी! हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने इर्शाद फ़रमाया, कि तुम्हारे इस रोने की वजह से फ़रिश्ते भी रोने लगे।

एक अन्सारी ने तहज्जुद पढ़ी और फिर बैठ कर बहुत रोये। कहते थे अल्लाह ही से फ़रियाद करता हूं जहन्नम की आग की। हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने इर्शाद फ़रमाया कि तुम ने आज फ़रिश्तों को रुला दिया।

अब्दुल्लाह बिन रवाहा रद़ियल्लाहु अन्हु एक सहाबी हैं, रो रहे थे। बीबी भी उनकी इस हालत को देखकर रोने लगीं। पूछा कि तुम क्यूं रोती हो? कहने लगीं कि जिस वजह से तुम रोते हो। अब्दुल्लाह बिन रवाहा रद़ियल्लाहु अन्हु ने कहा कि मैं इस वजह से रो रहा हूं कि जहन्नम पर गुज़रना तो है ही, न जाने नजात हो सकेगी या वहीं रह जाऊंगा।

ज़ुरारह बिन औफ़ एक मस्जिद में नमाज पढ़ रहे थे।

पर जब पहुंचे, तो फ़ौरन गिर गए और इन्तिक़ाल हो गया। लोग उठा कर घर तक लाए।

हजरत ख़ुलैद रह़िमहुल्लाह एक मर्तबा नमाज़ पढ़ रहे थे।

पर पहुंचे तो उसको बार-बार पढ़ने लगे। थोड़ी देर में घर के एक कोने से आवाज़ आई कि कितनी मर्तबा इस को पढ़ोगे। तुम्हारे इस बार-बार के पढ़ने से चार जन मर चुके हैं।

एक और साहब का क़िस्सा लिखा है कि पढ़ते पढ़ते जब

पर पहुंचे तो एक चीख मारी और तड़प-तड़प कर मर गए। और भी इस क़िस्म के वाक़िआत कसरत से गुज़रे हैं।

हज़रत फुज़ैल रह़िमहुल्लाह मशहूर बुज़ुर्ग हैं, कहते हैं कि अल्लाह का ख़ौफ़ हर ख़ैर की तरफ़ रहबरी करता है।

हज़रत शिब्ली रह़िमहुल्लाह के नाम से सभी वाक़िफ़ हैं। वह कहते हैं कि जब भी मैं अल्लाह से डरा हूं, उसकी वजह से मुझ पर हिक्मत और इबरत का ऐसा दरवाज़ा खुला है जो उससे पहले नहीं खुला।

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