बदनसीब इन्सान

جابر بن عبد الله رضي الله عنهما يقول: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: من ذكرت عنده فلم يصل علي فقد شقي (عمل اليوم والليلة لابن السني، الرقم: ۳۸۱)

हज़रत जाबिर रद़ियल्लाहु अन्हु ने हुज़ूरे-अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का यह इर्शाद नक़ल किया है कि जिसके सामने मेरा ज़िकर किया जाए और वह मुझ पर दुरूद न भेजे, वह बदनसीब है।

हज़रत रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम और हज़रत अबू-बकर सिद्दीक़ रद़ियल्लाहु अन्हु दोनों की एक पसंद

एक मर्तबा हज़रत अबू-बकर सिद्दीक़ रद़ियल्लाहु अन्हु ने अपने वालिद के इस्लाम क़बूल करने के बाद नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम से फ़रमाया:

उस ज़ात की क़सम! जिसने आपको दीने-ह़क देकर भेजा, मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मेरे वालिद ने इस्लाम क़बूल किया, मगर आप के चचा अबू-त़ालिब अगर इस्लाम क़बूल करते, तो मुझे उनके इस्लाम लाने से अपने वालिद के इस्लाम क़बूल करने के मुक़ाबले में ज़्यादा ख़ुशी होती।

यह सुनकर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम हज़रत अबू-बकर रद़ियल्लाहु अन्हु से बहुत ही खुश हुए और उनकी निःस्वार्थ मोहब्बत को प्रमाणित करते हुए फ़रमाया: बेशक तुमने सच्ची बात कही। (मुस्नदे-बज़्ज़ार)

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सो (१००) हाजतो का पूरा करना

हजीर जाबिर (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “जो व्यक्ति मुझ पर हर दिन सो (१००) बार दुरूद भेजता है, अल्लाह तआला उस की सो (१००) ज़रूरतें पूरी करेंगेः सत्तर (७०) ज़रूरतें उस के आख़िरत के जीवन के बारे में और तीस (३०) ज़रूरतें उस की दुनयवी जीवन से संबंधित.”...