मौत के लिए हर एक को तैयारी करना है

शेखु-ल-ह़दीस हज़रत मौलाना मुह़म्मद ज़करिया रहिमहुल्लाह ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमाया:

मैं एक बात बहुत सोचता हूं कि मौत से हर एक को साबिका पड़ता है, फिर क्यूं मौत को याद नहीं रखते?

आज असर के बाद हमारे एक पड़ोसी का इन्तिका़ल हो गया है, अल्लाह त’आला मगफिरत फ़रमाएं! उन्होंने असर की नमाज पढ़ी और तिलावत के लिए बैठे ही थे कि इन्तिका़ल हो गया।

हम में से किसी को मालूम नहीं कि उसका वक्त एक घंटे के बाद आए या कब आए। मुझे तो बहुत ‘इबरत होती है।

मर्हूम का मेरे चाचा जान (हज़रत मौलाना मुह़म्मद इल्यास साहब रहिमहुल्लाह) से बै’अत का ताल्लुक़ था। (मलफ़ूज़ात हज़रत शैख़ (रह.), पेज नं- १३४)

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