मक्का मुकर्रमह के सुननो आदाब
(१) मक्का मुकर्रमह में क़याम के दौरान हर वक़्त इस मुबारक जगह की अज़मत और हुरमत का ख़्याल रखें और यह बात ज़हन में रखें के तमाम अंबिया (अलै.), सहाबए किराम (रज़ि.), ताबिईने इज़ाम और अवलियाए किराम (रह.) बकषरत इस मुबराक जगह (मक्का मुकर्रमह) तशरीफ़ लाते थे.
(२) हरम में रेहते हुए लोगों को तकलीफ़ न दे और हराम चीज़ों और गुनाहों से अपने दिल और आंखों की हिफ़ाज़त करें, क्युंकि जो भी रूहानियत आप हासिल करेंगे, वह गुनाहों के करने और बदनिगाही की वजह से ख़तम हो जाएगी.
(३) तमाम नमाज़ें मस्जिदे हराम में जमाअत के साथ अदा करें और जितना ज़्यादह हो सके तवाफ़ करें, क्युंकि यह इबादत आप किसी और जगह अंजाम नहीं दे सकते हैं.
(४) अपने अज़ीज़ों, रिश्तेदारों और मरहूमीन वगैरुहुम की तरफ़ से तवाफ़ करें.
(५) मक्का मुकर्रमह में कम अज़ कम एक क़ुर्आने पाक का एक ख़तम करें. एक क़ुर्आने पाक मुकम्मल करने से आप को एक लाख मर्तबा क़ुर्आने पाक मुकम्मल करने का षवाब मिलेगा.
(६) जिन लोगों ने आप पर एहसान किया तथा आप की मदद की उन को याद करें और उन के लिए दुआ करें.
(७) जन्नतुल मुअल्ला (मक्का मुकर्रमह का क़ब्रस्तान) की ज़ियारत करने की कोशिश करें और वहां के मरहूमिनीन के लिए दुआ करें और उन के लिए इसाले षवाब करें.
(८) जितना ज़्यादह हो सके, ज़मज़म का पानी पिऐं और ज़मज़म का पानी पीते वक़्त ख़ूब दुआ करें, क्युंकि हदीष शरीफ़ में वारिद है के ज़मज़म का पानी पीने के वक़्त जो दुआ की जाती है वह क़बूल होती है. [१]
[१] حدثنا هشام بن عمار قال حدثنا الوليد بن مسلم قال قال عبد الله بن المؤمل أنه سمع أبا الزبير يقول سمعت جابر بن عبد الله يقول سمعت رسول الله صلى الله عليه وسلم يقول ماء زمزم لما شرب له (سنن ابن ماجه، الرقم: ۳٠٦۲، وسنده جيد كما في كشف الخفاء ۲/۲٠۷)