बयतुल ख़ला की सुन्नतें और आदाब- (भाग-५)

(१) बयतुलख़ला में न खाना और न पीना.

(२) बयतुलख़ला में ज़रूरत से ज़्य़ादा वक्त न गुजारना.[१] अगर बयतुलख़ला चंद लोगों के दरमियान मुशतरक हो या वह बयतुलख़ला सब के लिए हो, तो ज़रूरत से ज़्य़ादा वक़्त सर्फ़ करना, दुसरों के लिए तकलिफ़ का कारन होगा.

(३) अकडुं बैठ कर क़ज़ाए हाजत करना. खडे होकर क़ज़ाए हाजत  करना मकरूह है.[२]

عن عائشة رضي الله عنها قالت من حدثكم أن النبي صلى الله عليه وسلم كان يبول قائما فلا تصدقوه ما كان يبول إلا قاعدا (سنن الترمذي، الرقم: ۱۲) [३]

हज़रत आंईशा (रज़ि.) फ़रमाती हैं के जो भी तुम से यह बयान करे के नबी  (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) खड़े होकर  क़ज़ाए हाजत (पेशाब वग़ैरह) करते थे. तो  इस की बात पर यक़ीन मत करो. नबी (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) बैठ कर ही क़ज़ाए हाजत (पेशाब वगैरह) करते थे.

 

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[१] إن هذه الحشوش محتضرة (سنن أبي داود، الرقم: ٦)

ولا يطيل القعود على البول والغائط (الفتاوى الهندية ١/٥٠)

[२] ويكره أن يبول قائما أو مضطجعا أو متجردا عن ثوبه من غير عذر فإن كان بعذر فلا بأس به (الفتاوى الهندية ١/٥٠)

[३] قال الترمذي حديث عائشة أحسن شيئ فى هذا الباب وأصح

قال النووي فى شرحه على الصحيح لمسلم (١/١٣٣) رواه أحمد بن حنبل والترمذي والنسائي وآخرون وإسناده جيد والله أعلم وقد روي في النهي عن البول قائما أحاديث لا تثبت ولكن حديث عائشة هذا ثابت

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