अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर की ज़िम्मे दारी – प्रकरण-१

अल्लाह सुब्हानहु वतआलाने अंबिया (अलै.) को लोगों की हिदायत के लिए मबऊष फ़रमाया और उन को दीन की इशाअत और दीन की हिफ़ाज़त की ज़िम्मेदारी दी है.

दीन की इशाअत का मतलब यह है के अंबिया (अलै.) लोगों को दीन के अहकाम और दीन की इबादात क़ौली और अमली ज़रीए से सिखाए.

दीन की हिफाज़त का मतलब यह है के अंबिया (अलै.) लोगों में अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर की ज़िम्मेदारी अंजाम दे दे (यअनी अंबिया (अलै.) लोगों को अच्छाई का हुकम दे, बुराई से रोके और लोगों को सीराते मुस्तक़ीम की तरफ़ रेहनुमाई करे).

हर नबी ने अपनी उम्मत को अम्र बिल मअरूफ़ और नही अनिल मुनकर की ज़िम्मेदारी अन्जाम देने का हुकम दिया है, इसी तरह हमारे आक़ा रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने अपनी उम्मत को इस अज़ीम ज़िम्मेदारी अन्जाम देने का हुकम दिया है.

अगर कोई इस ज़िम्मेदारी पर ग़ौर करे तो वह समझ जाएगा के अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर सब से अहम ज़रीया है. उम्मत का दीन पर क़ाईम रेहने के लिए और दुनिया में इस्लाम की बक़ा के लिए.

क़ुर्आने करीम और अहादीषे मुबारका ने इस उम्मत को ख़ैरूल उमम (सब से बेहतरीन उम्मत) क़रार दिया है. इस की वजह यही है के यह उम्मत अम्र बिल मारूफ़ और नही उनिल मुनकर की ज़िम्मेदारी दूसरी उम्मतों के मुक़ाबले में सब से ज़्यादा अन्जाम देगी.

चुनांचे क़ुर्आने करीम में अल्लाह जल्ल जलालुहु का इरशाद हैः

کُنۡتُمۡ خَیۡرَ اُمَّۃ ٍ اُخۡرِجَتۡ لِلنَّاسِ تَاۡمُرُوۡنَ بِالۡمَعۡرُوۡفِ وَ تَنۡہَوۡنَ عَنِ الۡمُنۡکَرِ وَ تُؤۡمِنُوۡنَ بِاللّٰہِ

तुम बेहतरीन उम्मत हो, जो लोगों (के फ़ायदा) के लिए निकाली गई हो. (तुम बेहतरीन उम्मत इस वजह से हो के) तुम अच्छाई का हुकम देते हो और बुराइ से रोकते हो और अल्लाह पर इमान रखते हो.

एक मर्तबा नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने ऊपर वाली आयत की तिलावत कर के सहाबए किराम (रज़ि.) से अर्ज़ किया के तुम लोग (मेरी उम्मत) सत्तर बड़ी उम्मतों की तकमील के लिए भेजे गए हो, तुम अल्लाह तआला के नज़दीक पिछली उम्मतों से सब से बेहतरीन उम्मत बनाए गए हो और पिछली उम्मतों से सब से ज़्यादा मुअज्ज और मुकर्रम बनाए गए हो (क्युंकि तुम अम्र बिल मारूफ़ और नही उनिल मुनकर करते हो यअनी तुम अच्छाई का हुकम देने और बुराई से रोकते हो).

एक दूसरी हदीष शरीफ़ में रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के हर एक मोमिन को अपनी इस्तआत के बक़दर दीन की हिफ़ाज़त के बारे में अल्लाह तआला के यहां पूछा जायेगा, लिहाज़ा रसूलुल्लाह(सल्लल्लाहहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमायाः

كل رجل من المسلمين على ثغرة من ثغر الإسلام الله الله لا يؤتى الإسلام من قبلك (السنة للمروزي، الرقم: ۲۸)

हर मुसलमान इस्लाम की सरहदो में से एक सरहद की हिफ़ाज़त के लिए ज़िम्मेदार है, लिहाज़ा अल्लाह से ड़रो,अल्लाह से ड़रो. और (इस बात का ख़्याल रखो के) तुम्हारी तरफ़ से इस्लाम पर हम्ला न आवे.

इस हदीष से मालूम होता है के हर मुसलमान अपने स्थान में और अपनी दीनी हैसियत के एतेबार से दीन की हिफ़ाज़त का ज़िम्मेदार है.

इन्शा अल्लाह आईन्दा क़िस्तों में हम दीन के इस अहम विभाग (यअनी अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर) को क़ाईम करने की महत्तवता को बयान करेंगे. और साथ साथ हम उस से संबंघित मसाईल को भी बयान करेंगे. इसी तरह हम सहाबए किराम (रज़ि.) और अस्लाफ़ के उन वाक़ियात को ज़िकर करेंगे. जिन से हमें मालूम होगा के उन्होंने कैसै अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर की यह बड़ी ज़िम्मेदारी अपने जिवन में अन्जाम दी है.

Source: http://ihyaauddeen.co.za/?p=18567


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