क़यामत की अलामात (संकेत)- दूसरा प्रकरण

हमारे आक़ा व मौला हज़रत रसूले ख़ुदा (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने अहादीषे मुबारका में उन तमाम दुर्घटनाओं व फ़ितन की भविष्य वाणी की है. जो क़यामत से पेहले इस दुनिया में ज़ाहिर होंगे, इसी तरह आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने अपनी उम्मत को इन तमाम फ़ित्नों से आगाह किया है जो दुनिया की विविध जगहों में अलग अलग ज़मानों नें ज़ाहिर होंगे और उन फ़ित्नों से बचने का रास्ता भी बताया है.

दीने इस्लाम की यह बेनज़ीर ख़ूबी है के अल्लाह सुब्हानहु व तआला ने हमारे नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) को सिर्फ़ उम्म की हिदायत के लिए नहीं भेजा, बलके उन्हें उन तमाम वाक़िआतो फ़ितन का इल्म भी अता फ़रमाया जो क़यामत से पेहले पेश आऐंगे, ताकि आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की बिअषत व्यापक और सार्वभौमिक हो और तमाम ज़मानों के चेलेन्जों और आवश्यकताओं का उस में हल मौजूद हो.

चुनांचे हमें अहादीषे मुबारका में बहोतसे पेश आने वाले फ़ित्नों से संबंधित गेहरी तफ़सील मिलती है. ख़्वाह वह फ़ित्ने क़रीबा हों तथा बईदा यअनी वह फ़ित्ने जो नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की रिहलत (विदाई) के बाद तुरंत ज़ाहिर हुए अथवा वह फ़ित्ने जो बाद में ज़ाहिर हुए (तथा ज़ाहिर होंगे) उन सब के बारे में अहादीषे मुबारका में दक़ीक़ तफ़सीलात मौजूद हैं. उन फ़ित्नों में से बाज़ फ़ित्नो को क़यामत की छोटी अलामतें और बाज़ को बड़ी अलामतें शुमार की जाती हैं.

नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने उन फ़ित्नों से संबंधित कितनी तफ़सील से ख़बर दी है, उस का अन्दाज़ा इस हदीष से अच्छी तरह लगाया जा सकता है.

हज़रत अम्र बिन अख़तब (रज़ि.) फ़रमाते हैं के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने हमें फ़जर की नमाज़ पढ़ाई और मिम्बर पर तशरीफ़ फ़रमा हुए. फिर आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने ख़ुत्बा दिया, यहां तक के ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त हो गया, तो आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) उतरे और नमाज़ पढ़ाई फिर मिम्बर पर तशरीफ़ फ़रमा हुए और ख़ुत्बा दिया, यहांतक के असर की नमाज़ का वक़्त हो गया फिर उतरे और नमाज़ पढ़ाई फिर मिम्बर पर तशरीफ़ फ़रमा हुए और ख़ुत्बा दिया, यहांतक के सूरज ग़ुरूब हो गया. आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने (उस दिन) हमें उन तमाम वाक़िआत और फ़ितन की ख़बर दी, जो आईन्दा पेश आने वाली हैं. तो हम में बड़ा आलिम वह है जो उन तमाम ख़बरो तथा वाक़िआत को ज़्यादा रखने वाला है.

बहोतसी अहादीष में क़यामत की अलामात का ज़िकर आया है. अहादीषे मुबारका में कुछ अलामतें तफ़सील से ज़िकर की गई हैं और कुछ का इजमालन (खोल कर) ज़िकर आया है. नीज़ सहाबए किराम (रज़ि.) ने अपने जिवन ही में बाज़ फ़ित्नो का मुशाहदा कर (देख) लिया जो नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने भविष्यवाणी फ़रमाई और उस समय नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के मुबारक शब्द उन के सामने एक वास्तविकता बन गई जिस समय उन्होंने उन फ़ित्नो को अपनी आंखो से देख लिया.

उलमाए किराम ने लिखा के क़यामत की अलामतें दो प्रकार की हैः पेहली बड़ी अलामतें और दूसरी छोटी अलामतें. छोटी अलामतों में सब से पेहली अलामत नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की इस दुनिया से रिहलत (जाना) है और बड़ी अलामतों में सब से पेहली अलामत इमाम महदी (रज़ि.) का ज़ुहूर (ज़ाहिर होना) है.

इन्शा अल्लाह आईन्दा प्रकरणों में हम उन अहादीष को पेश करेंगे जिन में क़यामत की यह दो अलामतें आई हैं और हम उन अहादीष की तशरीह भी करेंगे, जहां जहां तशरीह की ज़रूरत हो.

Source: http://ihyaauddeen.co.za/?p=18602


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