मय्यित के जिस्म से जुदा अंग का ग़ुसल
सवालः- बसा अवक़ात एसा होता है के मय्यित के जिस्म से बाज़ अंग जुदा होते हैं मषलन गाड़ी के हादसे वग़ैरह में मय्यित के कुछ अंग टूट जाते हैं और जिस्म से जुदा होते हैं, तो क्या ग़ुसल के समय उन अलग किए हुए अंगो को भी ग़ुसल दिया जाएगा और उन को दफ़ना किया जाएगा?
जवाबः- जो अंग मय्यित के जिस्म से अलग हो गए (मषलन हाथ, पैर वग़ैरह) उन को ग़ुसल नहीं दिया जाएगा, बलके मात्र मय्यित के जिस्म को ग़ुसल दिया जाएगा. फिर जो अंग मय्यित के जिस्म से जुदा हुए, उन को एक कपड़े में लपेट कर मय्यित के साथ दफ़ना दिया जाएगा. [१]
मय्यित के ग़ुसल में ग़ैर मुस्लिम की शिरकत
सवालः- क्या मय्यित के ग़ुसल में मय्यित का ग़ैर मुस्लिम रिश्तेदार शिर्कत कर सकता है?
जवाबः- सिर्फ़ मुसलमान लोग मय्यित को ग़ुसल दे. ग़ैर मुस्लिम (ख़्वाह मय्यित के रिश्तेदार ही क्युं न हो) मय्यित को ग़ुसल न दे और ग़ुसल देने में शिर्कत न करे. [२]
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[१] إذا وجد طرف من أطراف الإنسان كيد أو رجل أنه لا يغسل لأن الشرع ورد بغسل الميت والميت اسم لكله ولو وجد الأكثر منه غسل لأن للأكثر حكم الكل وإن وجد الأقل منه أو النصف لم يغسل كذا ذكر القدوري في شرحه مختصر الكرخي لأن هذا القدر ليس بميت حقيقة وحكما ولأن الغسل للصلاة وما لم يزد على النصف لا يصلى عليه فلا يغسل أيضا وذكر القاضي في شرحه مختصر الطحاوي أنه إذا وجد النصف ومعه الرأس يغسل وإن لم يكن معه الرأس لا يغسل فكأنه جعله مع الرأس في حكم الأكثر لكونه معظم البدن (بدائع الصنائع ۲/۳٠۲)
والسقط يلف ولا يكفن كالعضو من الميت قال الشامي : قوله ( والسقط يلف ) أي في خرقة لأنه ليس له حرمة كاملة وكذا من ولد ميتا بدائع قوله ( ولا يكفن ) أي لا يراعى فيه سنة الكفن وهل النفي بمعنى النهي أو بمعنى نفي اللزوم الظاهر الثاني فليتأمل قوله ( كالعضو من الميت ) أي لو وجد طرف من أطراف إنسان أو نصفه مشقوقا طولا أو عرضا يلف في خرقة إلا إذا كان معه الرأس فيكفن كما في البدائع قال وكذا الكافر لو له ذو رحم محرم مسلم يغسله ويكفنه في خرقة لأن التكفين على وجه السنة من باب الكراهة اهـ (رد المحتار ۲/۲٠۳)
[२] ولو كان الغاسل جنبا أو حائضا أو كافرا جاز ويكره كذا في معراج الدراية (الفتاوى الهندية ۱/۱۵۹)