सवाल: अगर कोई आदमी सिर्फ फर्ज़ नमाज़ पढ़े और सुन्नते-ए-मुअकद्दह को पढ़ना छोड़ दे तो उसका क्या हुक्म है? क्या सुन्नते-ए-मुअकद्दह को छोड़कर सिर्फ फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ना गुनाह है? जवाब: अगर कोई सिर्फ फ़र्ज़ नमाज़ पर बस करे और वाजिब नमाज़ (वित्र नमाज़) और सुन्नते-ए-मुअकद्दह न पढ़े तो गुनहगार होगा। …
और पढ़ो »Daily Archives: November 27, 2025
ज़कात की सुन्नतें और आदाब – १
ज़कात इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान में से एक अहम रुकन है। ज़कात सन २ हिजरी में रमज़ान के रोज़े से पेहले फर्ज़ हूई थी। कुराने-करीम में बहुत सी आयत और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की बहुत सी हदीस में ज़कात अदा करने की फ़ज़ीलत और अज़ीम सवाब बयान किया …
और पढ़ो »दुरूद शरीफ़ रिज़्क़ में बरकत का ज़रीआ
हज़रत सहल बिन सअद (रज़ि) फ़रमाते हैं के एक मर्तबा एक सहाबी नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की ख़िदमत में हाज़िर हुवे और आप से ग़रीबी तथा धन के अभाव की शिकायत. तो नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने उन से फ़रमाया के...
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