Monthly Archives: September 2025

हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु को अपने वालिद की मग्फ़िरत की फिक्र

جاء سيدنا سعيد بن زيد رضي الله عنه مرة إلى النبي صلى الله عليه وسلم فقال: يا رسول الله إن (أبي) زيدا كان كما رأيت أو كما بلغك (أنه كان يعبد الله لا يشرك به شيئا وإن لم يدرك زمن البعثة)، فأستغفر له؟ قال: نعم، فاستغفر له، فإنه يبعث يوم …

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फज़ाइले-सदकात – २६

ईसार का अजीब वाकिआ वाक़िदी रह़िमहुल्लाह कहते हैं कि मेरे दो दोस्त थे, एक हाशमी और एक गैर हाशमी, हम तीनों में ऐसे गहरे ताल्लुक़ात थे कि एक जान, तीन कालिब थे। मेरे ऊपर सख़्त तंगी थी, ईद का दिन आ गया, बीवी ने कहा कि हम तो हर हाल …

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दुआ-ए-कुनूत के बाद दुरूद-शरीफ़ पढ़ना

सवाल: वित्र की नमाज़ में दुआ-ए-कुनूत के बाद दुरूद-शरीफ़ पढ़ने का क्या हुक्म है? क्या इसे पढ़ना चाहिए या नहीं? कुछ लोग कहते हैं कि यह मुस्तहब है। उनकी दलील क्या है? और क्या आम लोगों को इस की तर्गीब दी जा सकती है या नहीं? जवाब: दुआ-ए-कुनूत के बाद …

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सवाब ठोस भरकर मिलेगा

عن أبي هريرة رضي الله عنه قال قال رسول الله صلى الله عليه وسلم من سره أن يكتال بالمكيال الأوفى إذا صلى علينا أهل البيت فليقل اللهم صل على محمد النبي الأمي وأزواجه أمهات المؤمنين وذريته وأهل بيته كما صليت على إبراهيم إنك حميد مجيد أخرجه أبو داود في سننه وعبد بن حميد في مسنده وأبو نعيم عن الطبراني كلهم من طريق نعيم المجمر عنه وكذا هو عندنا في حديث ابن علم الصفار عن أبي بكر بن أبي خيثمة...

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हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु के दिल में सहाबा-ए-किराम रद़ियल्लाहु अन्हुम का अज़ीम एहतिराम

ذات مرة، خاطب سيدنا سعيد بن زيد رضي الله عنه الناس فأقسم بالله وقال: والله لمشهد شهده رجل يغبر فيه وجهه مع رسول الله صلى الله عليه وسلم أفضل (عند الله) من عمل أحدكم (من غير الصحابة) ولو عُمِّرَ عمر نوح عليه السلام (وقضى حياته كلها في الأعمال الصالحة) (مسند …

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फज़ाइले-आमाल – ३२

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम से मुहब्बत करने वाले पर फक्र की दौड़ एक सहाबी हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की खिदमत में हाज़िर हुए और अर्ज़ किया कि या रसूलुल्लाह! मुझे आपसे मुहब्बत है। हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने फरमाया, देख क्या कहता है। उन्होंने फिर यही अर्ज़ किया कि मुझे …

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हैज़ की हालत में या जनाबत की हालत में कुरान-शरीफ़ का तर्जुमा पढ़ने का हुक्म

सवाल: अगर किसी ने हैज़ की हालत में या जनाबत की हालत में कुराने-करीम का तर्जुमा पढ़ा, लेकिन उसने जानबूझकर ऐसा नहीं किया; बल्कि, वह कोई ऐसा लेख पढ़ रहा था जिसमें कुराने-करीम की किसी आयत का तर्जुमा लिखा हुआ था। जवाब: हैज़ की हालत में या जनाबत की हालत …

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सूरह फ़लक की तफ़सीर

قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ ‎﴿١﴾‏ مِن شَرِّ مَا خَلَقَ ‎﴿٢﴾‏ وَمِن شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ ‎﴿٣﴾‏ وَمِن شَرِّ النَّفَّاثَاتِ فِي الْعُقَدِ ‎﴿٤﴾‏ وَمِن شَرِّ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَ ‎﴿٥﴾‏ आप (ऐ मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम! लोगों से) कह दीजिए कि मैं पनाह मांगता हूं सुबह के रब की (१) हर चीज़ के शर से जो उसने बनाई (२) और अंधेरी …

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