हज़रत आइशा रद़ियल्लाहु अन्हा की सखावत हज़रत मुन्कदिर रह़िमहुल्लाह एक मर्तबा हज़रत आइशा रद़ियल्लाहु अन्हा की खिदमत में हाज़िर हुए और अपनी सख़्त हाजत का इज़हार किया, उन्होंने फरमाया कि मेरे पास इस वक़्त बिल्कुल कुछ नहीं है, अगर मेरे पास दस हज़ार भी होते तो सब के सब तुम्हें …
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दुरूद-शरीफ़ पढ़ने से सदक़े का सवाब
عن أبي سعيد الخدري رضي الله عنه عن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: أيما رجل مسلم لم تكن عنده صدقة فليقل في دعائه: اللهم صل على محمد عبدك ورسولك وصل على المؤمنين والمؤمنات والمسلمين والمسلمات...
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – ३०
हज़रत अबू-हुरैरह रद़ियल्लाहु अन्हु का भूख में मस्अला दर्याफ़्त करना हजरत अबू-हुरैरह रद़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि तुम लोग उस वक़्त हमारी हालतें देखते कि हम में से बाजों को कई-कई वक़्त तक इतना खाना नहीं मिलता था, जिससे कमर सीधी हो सके। मैं भूख की वजह से जिगर को …
और पढ़ो »फर्ज़ गुसल में कान की बाली के सूराखों के अंदरूनी हिस्से को धोना
सवाल: क्या गुसल करते वक़्त कान की बाली के सूराख़ों के अंदरूनी हिस्से को धोना फ़र्ज़ है? जवाब: हां, औरत के लिए फ़र्ज़ है कि जब वो फ़र्ज़ गुसल करे, तो बाली के सूराख़ों के अंदरूनी हिस्से को धोये। अल्लाह तआला ज्यादह जानने वाले हैं. (الفصل الأول في فرائضه) وهي …
और पढ़ो »इस्तिबरा क्या है?
सवाल: इस्तिबरा क्या है और क्या इस्लाम में उस की इजाज़त है? जवाब: इस्तिबरा यह है कि कज़ाए-हाजत के बाद इतनी देर इन्तिज़ार क्या जाए कि इस बात का यकीन हो जाए कि पेशाब के बाकी कतरे निकल चुके हैं। इस्लाम में इस की न सिर्फ इजाज़त है; बल्कि अहम …
और पढ़ो »पुल-सिरात पर मदद
عن عبد الرحمن بن سمرة رضي الله عنه قال: خرج علينا رسول الله صلى الله عليه وسلم فقال: إني رأيت البارحة عجبا رأيت رجلا من أمتي يزحف على الصراط مرة ويحبو مرة ويتعلق مرة فجاءته صلاته علي فأخذت بيده فأقامته على الصراط حتى جاوزه...
और पढ़ो »रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की ज़बाने-मुबारक से हज़रत अब्दुर्रह़मान बिन औफ़ रद़ियल्लाहु अन्हु की तारीफ़
شكا سيدنا عبد الرحمن بن عوف رضي الله عنه رجلا يؤذيه إلى رسول الله صلى الله عليه وسلم. فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم للرجل: لا تؤذ رجلا من أهل بدر، فإن أحدكم لو أنفق مثل أُحُد ذهبا، ما أدرك مد أحدهم (مما أنفقوا في سبيل الله) ولا نصيفه …
और पढ़ो »फज़ाइले-सदकात – २३
हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफर रद़ियल्लाहु अन्हु की सखावत एक शख़्स ने हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफर रद़ियल्लाहु अन्हु की ख़िदमत में हाज़िर होकर दो शे’र पढ़े, जिनका मतलब यह है कि: एहसान और हुस्ने-सुलूक उस वक़्त एहसान है जबकि वह उसके अहल और काबिल लोगों पर किया जाये। नालायकों पर एहसान …
और पढ़ो »दुआ की सुन्नतें और आदाब – ७
(१७) बेहतर यह है कि जामे’ दुआ करें। हज़रत आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं कि हज़रत रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम जामे’ दुआ पसंद फ़रमाते थे और गैर-जामे’ दुआ छोड़ देते थे। नीचे कुछ मसनून दुआ नकल की जा रहे हैं जो मुख़्तलिफ़ अह़ादीसे-मुबारका में वारिद हुई हैं और जामे’ हैं: …
और पढ़ो »मद्रेसे के माल में एहतियात
शेखुल-हदीस हज़रत मौलाना मुह़म्मद ज़करिय्या रह़िमहुल्लाह ने एक मर्तबा इर्शाद फ़रमाया: एक बात सुन लो! बड़े हज़रत रायपुरी रह़मतुल्लाहि ‘अलैह फ़रमाया करते थे कि मुझे जितनी मद्रेसे की सरपरस्ती (ट्रस्टी बनने) से डर लगता है, उतना किसी चीज़ से नहीं लगता। कोई आदमी किसी के यहां मुलाज़िम (नौकर) हो, कोताही …
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