हज़रत मौलाना अशरफ अली थानवी रह़िमहुल्लाह ने एक मर्तबा इर्शाद फ़रमाया: एक बड़े फ़ाज़िल यहां आए और मुझ से कहा कि कुछ नसीहत कीजिए। मैंने कहा कि आप तो खुद आलिम हैं। मैं आप को क्या नसीहत करूं? उन्होंने फिर इसरार किया। मैंने कहा: मुझे तो बस एक ही सबक …
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फज़ाइले-आमाल – २४
तीसरा बाब सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम अज्मईन के ज़ुह्द्द और फ़क़र के बयान में इस बारे में खुद नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अपना मामूल और वाक़िआत, जो इस अम्र पर दलालत करते हैं कि यह चीज हुज़र सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की खुद इख्तियार फ़रमायी हुई और पसन्द की हुई …
और पढ़ो »क़यामत की निशानियां
दज्जाल के फ़ित्नो से कैसे बचें? मुबारक हदीसों में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने अपनी उम्मत को हर ज़माने के फ़ित्नो और खास तौर पर दज्जाल के फ़ित्नो से हिफाज़त का तरीका सिखाया है; चुनांचे एक हदीस शरीफ में है कि हज़रत उक़्बा बिन आमिर रज़ियल्लाहु अन्हु ने एक मर्तबा …
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