في السنة الحادية والعشرين من الهجرة، أتى بعض أهل الكوفة سيدنا عمر رضي الله عنه وشكوا إليه سيدَنا سعدَ بن أبي وقاص رضي الله عنه أنه لا يصلّي بهم صلاة صحيحة. فسأله سيدُنا عمرُ رضي الله عنه عن ذلك، فقال: أما أنا والله فإني كنت أصلي بهم صلاة رسول الله …
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फज़ाइले-आमाल – ४
हज़रत बिलाल हब्शी र’दि अल्लाहु अन्हू का इस्लाम और मसाइब हजरत बिलाल हब्शी र’दि अल्लाहु अन्हू एक मशहूर सहाबी हैं, जो मस्जिदे नबुवी के हमेशा मुअज्जिन रहे। शुरू में एक काफ़िर के गुलाम थे, इस्लाम ले आये जिसकी वजह से तरह-तरह की तकलीफें दिये जाते थे। (मुअज्जिन=अज़ान देने वाले) उमैया …
और पढ़ो »फज़ाइले सदकात – २
अल्लाह त’आला की नेमतें एक हदीस में है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह सूरत (सूरह तकाषुर) तिलावत फरमायी और जब यह पढ़ा – ثُمَّ لَتُسْأَلُنَّ يَوْمَئِذٍ عَنِ النَّعِيمِ फिर उस दिन, नेमतों से सवाल किए जाओगे। तो इर्शाद फरमाया कि तुम्हारे रब के सामने तुमसे ठंडे पानी का …
और पढ़ो »हज़रत सा’द रदि अल्लाहु अन्हू के लिए नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दुआ
قيل لسيدنا سعد بن أبي وقاص رضي الله عنه: متى أصبت الدعوة (أي استجابة دعائك)؟ قال: يوم بدر، كنت أرمي بين يدي النبي صلى الله عليه وسلم، فأضع السهم في كبد القوس، أقول: اللهم زلزل أقدامهم، وأرعب قلوبهم، وافعل بهم وافعل، فيقول النبي صلى الله عليه وسلم: اللهم استجب لسعد …
और पढ़ो »फज़ाइले सदकात – ૧
वालिदैन का ऐहतिराम हज़रत तल्हा रज़ि० फरमाते हैं कि हुज़ूरे अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की खिदमत में एक शख़्स हाज़िर हुए और जिहाद में शिर्कत की दख्र्वास्त की। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, तुम्हारी वालिदा ज़िंदा हैं? उन्होंने अर्ज किया, ज़िंदा हैं। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल-३
सुल्हे हुदैबिया में अबू जुंदल रज़ि० और अबूबसीर रज़ि० का क़िस्सा सन् ६ हि० में हुज़ूरे अक्दस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ‘उमरा के इरादे से मक्का तशरीफ ले जा रहे थे। कुफ्फारे मक्का को इस की खबर हुई और वो इस खबर को अपनी ज़िल्लत समझै, इस लिए मुज़ाह़मत की …
और पढ़ो »फज़ाइले आमाल – २
क़िस्सा हज़रत अनस बिन नज़्र रज़ि० की शहादत का हजरत अनस बिन नज़्र रजि० एक सहाबी थे जो बद्र की लड़ाई में शरीक नहीं हो सके थे। उनको इस चीज का सदमा था, इस पर अपने नफ़्स को मलामत करते थे कि इस्लाम की पहली अज़ीमुश्शान लड़ाई और तू उसमें …
और पढ़ो »फज़ाइले आमाल-१
दीन की खातिर सख़्तियों का बर्दाश्त करना और तकालीफ और मशक्कत का झेलना हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और सहाबा किराम रजि० ने दीन के फैलाने में जिस कदर तक्लीफें और मशक्कतें बर्दाश्त की हैं, उन का बर्दाश्त करना तो दरकिनार, उसका इरादा करना भी हम जैसे नालायकों से …
और पढ़ो »मासिक धर्म के दौरान तवाफ़ ज़ियारत करना
सवाल – एक औरत हैज़ वाली है और उसे तवाफ़-ए-ज़ियारत करना है। लेकिन वो वापसी की तारीख के बाद ही हैज़ से पाक होगी, जबकि उसकी फ्लाइट बुक है, तो क्या उसके लिए गुंजाइश है कि वो हैज़ की हालत में तवाफ़-ए-ज़ियारत कर ले और दम अदा कर दे? जवाब …
और पढ़ो »तवाफ़-ए-ज़ियारत को क़ुर्बानी के दिनों के बाद तक अनावश्यक रूप से स्थगित करना
सवाल – अगर हाजी ने शर’ई उज़्र के बिना कुर्बानी के दिनों के बाद तक तवाफ़-ए-ज़ियारत को टाल दे तो शरीयत में उस का क्या हुक्म है? जवाब – तवाफ़-ए-ज़ियारत को बिना शर’ई उज़्र के कुर्बानी के दिनों के बाद तक टालना जायज़ नहीं है। अगर किसीने इतनी देरी कर …
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