हजरत मुफ़्ती महमूद हसन गंगोही रहिमहुल्लाह हज़रत मुफ़्ती महमूद हसन गंगोही रहिमहुल्लाह हमारे बुजुर्गाने किराम और बड़े लोगों में से थे, जिनका ज़माना हमसे ज़्यादा दूर नहीं है। उनकी पैदाइश 1325 हिजरी में हुई और वह हज़रत शेखु-ल-ह़दीस मौलाना मुह़म्मद ज़कारिया कांधलवी रहिमहुल्लाह के अजल्ले-खुलफा में से थे। वो कई …
और पढ़ो »Monthly Archives: January 2024
मैय्यत की क़ब्र
(१) मैय्यत को घर में दफन न किया जाए, चाहे वह नाबालिग हो या बालिग, नेक हो या बुरा। घर के अंदर दफ़न होना नबियों की ख़ुसूसियत (विशेषता) है। (२) क़ब्र को चौकोर बनाना मकरूह है. क़ब्र को ऊँट के कोहान की तरह थोड़ा-सा ऊँचा करना मुस्तह़ब और पसंदीदा है। …
और पढ़ो »हज़रत ‘अली रदि अल्लाहु ‘अन्हु का बुलंद-तरीन मक़ाम
नबी ए करीम सल्लल्लाहु ‘अलैहि व सल्लम ने हज़रत ‘अली रदि अल्लाहु ‘अन्हु से फ़रमाया: أنت مني وأنا منك (أي في النسب والمحبة) (صحيح البخاري، الرقم: ٢٦٩٩) तुम मुझसे हो और मैं तुमसे हूं (यानी हम दोनों एक ही नसब से हैं और हमारी मोहब्बत का त’अल्लुक़ बहुत मज़बूत है)। …
और पढ़ो »लोगों को नसीहत करते वक्त उनको शर्मिंदा करने से बचना
जो शख्स ऐसे लोगों को सलाह देता है जो दीन से दूर हैं और उनके पास दीन की सही समझ नहीं है, तो उसके लिए ज़रूरी है कि वह उनके साथ नरमी से बात करे। नरमी से बात करने के साथ साथ उसको चाहिए कि वो किसी भी तरीके से …
और पढ़ो »नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और हज़रत अली रदि अल्लाहु ‘अन्हु के दरम्यान इंतिहाई गेहरा ताल्लुक़
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु ‘अलैहि व सल्लम ने हज़रत फातिमा रदि अल्लाहु ‘अन्हा से फ़रमाया: إني وإياك وهذا النائم – يعني عليا – وهما – يعني الحسن والحسين – لفي مكان واحد يوم القيامة (أي في الجنة) (المستدرك للحاكم، الرقم: ٤٦٦٤) क़यामत के दिन बेशक मैं और तुम और ये शख्स जो …
और पढ़ो »सूरह लहब की तफसीर
تَبَّتْ يَدا أَبِىْ لَهَبٍ وَّتَبَّ ﴿١﴾ مَا أَغْنىٰ عَنْهُ مَالُهُ وَمَا كَسَبَ ﴿٢﴾ سَيَصْلىٰ نَارًا ذَاتَ لَهَبٍ ﴿٣﴾ وَامْرَاَتُهُ حَمَّالَةَ الحَطَبِ ﴿٤﴾ فِىْ جِيْدِهَا حَبْلٌ مِنْ مَسَدٍ ﴿٥﴾ अबू लहब के हाथ टूट जाएं और वो बर्बाद हो जाए (१) न उस का माल उसके काम आया और न उसकी कमाई (२) वह जल्द ही भड़कते शो’लों वाली आग …
और पढ़ो »अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहु ‘अलैहि वसल्लम से मोहब्बत करने वाला
गज़व ए ख़ैबर के मौके पर, नबी ए करीम सल्लल्लाहु ‘अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया: لأعطين الراية غدا رجلا يفتح على يديه، يحبّ الله ورسوله، ويحبّه الله ورسوله. في الغد، دعا رسول الله صلى الله عليه وسلم عليا وأعطاه الراية (من صحيح البخاري، الرقم: ٣٠٠٩) कल, मैं झंडा उस शख्स …
और पढ़ो »‘इद्दत की सुन्नतें और आदाब – १
‘इद्दत जब शौहर अपनी बीवी को तलाक दे दे या उसका इन्तेकाल हो जाए या दोनों मिया बीवी के निकाह को फस्ख (ख़तम करना) कर दिया जाए (बशर्ते कि शर’ई अदालत में निकाह के फस्ख करने की शर्तो का लिहाज रखा जाए) तो शरी’अत का हुक्म यह है कि बीवी …
और पढ़ो »अदब का दारोमदार ‘उर्फ़ पर है
हज़रत मौलाना अशरफ़ ‘अली थानवी रहिमहुल्लाह ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमाया: अदब का दारोमदार सामान्य चलन पर है, ये देखा जाएगा कि ‘उफ़ में यह अदब के खिलाफ समझा जाता है या नहीं। इसी सिलसिले में याद आया कि एक मर्तबा एक खादिम को तंबीह फ़रमाई, जिन्होंने एक ही हाथ …
और पढ़ो »हज़रत ‘अली रदि अल्लाहु ‘अन्हु की शान में गुस्ताखी की संगीनी
नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: من سبّ عليا فقد سبّني (مسند أحمد، الرقم: ٢٦٧٤٨) जिसने ‘अली को बुरा-भला कहा, यक़ीनन उसने मुझे बूरा-भला कहा। हज़रत ‘अली रदि अल्लाहु ‘अन्हु के दिल में आख़िरत का ख़ौफ़ कुमैल बिन ज़ियाद रदि अल्लाहु ‘अन्हु बयान करते हैं: एक मर्तबा मैं …
और पढ़ो »