ए बिशर ! तुम ने हमारा नाम ज़मीन से उठाया और उस में ख़ुश्बू लगाई, बेशक हम तुम्हारा नाम दुनिया और आख़िरत में रोशन करेंगे. इस अमल की वजह से अल्लाह तआला ने मुझे यह स्थान अता फरमाया है...
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लोगों को दीन की तरफ़ राग़िब करना
मौतो हयात का एतेबार नहीं, याद रखो, एक वसिय्यत करता हुं नसीहत करता हुं वह यह के जहां तक हो सके हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की इत्तेबा की कोशिश करो. दूसरी बात जो इस वक़्त केहनी है वह यह के...
और पढ़ो »जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल (१३)
मय्यित को ग़ुसल देने के दौरान ज़िकर करना सवालः- मय्यित को ग़ुसल देने के दौरान दुरूद शरीफ़ पढ़ना अथवा कोई और ज़िकर करना कैसा है? जवाबः- मय्यित को ग़ुसल देने के दौरान बुलंद आवाज़ से दुरूद शरीफ़ पढ़ना अथवा कोई और ज़िकर करना सुन्नत से षाबित नहीं है. अलबत्ता ग़ुसल …
और पढ़ो »क़यामत के दिन नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु ‘अलैही व-सल्लम के पड़ोसी होने का शर्फ़
“जो शख़्स इरादा कर के मेरी ज़ियारत करे वह क़यामत में मेरे पड़ोस में होगा और जो शख़्स मदीना में क़याम करे और वहां की तंगी और तकलीफ़ पर सबर करे...
और पढ़ो »दीन की तलब तथा क़दर पैदा करना
हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “हमारे नज़दीक इस वक़्त उम्मत की असल बीमारी दीन की तलब तथा क़दर से उन के दिलों का ख़ाली होना है. अगर दीन की फ़िकर तथा तलब उन के अन्दर पैदा हो जाए और दीन की महत्तवता का शुऊर तथा …
और पढ़ो »निकाह की सुन्नतें और आदाब – १४
अगर एक बहन का इन्तिक़ाल हो जाए अथवा वह उस को तलाक़ दे दे और उस की इद्दत गुज़र जाए, तो उस के लिए दूसरी बहन से निकाह करना जाईज़ होगा...
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