(४) औरत के लिए जनाज़े के साथ क़बरस्तान जाना और तदफ़ीन में शिरकत करना ना जाईज़ है...
और पढ़ो »Monthly Archives: January 2021
सो (१००) हाजतो का पूरा करना
हजीर जाबिर (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “जो व्यक्ति मुझ पर हर दिन सो (१००) बार दुरूद भेजता है, अल्लाह तआला उस की सो (१००) ज़रूरतें पूरी करेंगेः सत्तर (७०) ज़रूरतें उस के आख़िरत के जीवन के बारे में और तीस (३०) ज़रूरतें उस की दुनयवी जीवन से संबंधित.”...
और पढ़ो »शादी की मुरव्वजह दअवतें
शेख़ुल हदीष हज़रत मौलाना मुहम्मद ज़करिय्या साहब (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “मुझे इन शादियों की दअवत से हंमेशा नफ़रत रही (चुंके सुन्नत तरीक़ा यह है के शादी में सादगी होनी चाहिए). मेरे यहां देखने वालों को सब ही को मालूम है के मेहमानों की भीड़ बाज़ अवक़ात दो …
और पढ़ो »निकाह की सुन्नतें और आदाब – ५
(३) वलीमा भी सादगी के साथ किया जाए. नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) का मुबारक फ़रमान है के “सब से बाबरकत वाला निकाह वह है, जिस में कम ख़र्च हो (यअनी निकाह और वलीमा सादा किया जाए और इसराफ़ और फ़ुज़ूल ख़र्ची से बचा जाए).”...
और पढ़ो »मस्ज़िद की सुन्नतें और आदाब- (भाग-७)
हज़रत अबु सईद ख़ुदरी (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमायाः “जिस ने मस्जिद से गंदगी साफ़ की, अल्लाह तआला उस के लिए जन्नत में घर बनाऐंगे.”....
और पढ़ो »जनाज़े को क़ब्रस्तान तक ले जाने से संबंधित मसाईल
(१) अगर मय्यित शिशु (दुध पिता बच्चा) हो तथा उस से बड़ा हो, तो उस को क़बरस्तान ले जाने में नअश(मृत देह) (चारपाई) पर उठाया नही जाएगा, बलकि उस को हाथ पर उठा कर ले जाया जाएगा...
और पढ़ो »जुम्आ के दिन दुरूद शरीफ़ पढ़ने की बरकत से दीनी और दुनयवी ज़रूरतों की तकमील
सुलहे हुदैबियह के मोक़े पर नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने हज़रत उषमान (रज़ि.) को मक्का मुकर्रमह भेजा, ताकि वह मक्का मुकर्रमह में क़ुरैश से बात-चीत करें...
और पढ़ो »मुहब्बत का बग़ीचा (चोथा प्रकरण)
रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के मुबारक दौर में जब लोग इस्लाम में दाख़िल होने लगे और भिन्न भिन्न विस्तारों में इस्लाम की इशाअत (फ़ैलने) की ख़बर पहोंचने लगी, तो बनु तमीम के सरदार अकषम बिन सैफ़ी (रह.) के दिल में इस्लाम के बारे में जानने का शौक़ पैदा हुवा...
और पढ़ो »सुरए अलक़ की तफ़सीर
(ए पयगंबर) आप (क़ुर्आन) अपने रब का नाम ले कर पढ़ा किजीए, जिस ने पैदा किया (१) जिस ने इन्सान को ख़ुन के लोठड़े से पैदा किया (२) आप क़ुर्आन पढ़ा किजीए और आप का रब बड़ा करीम है...
और पढ़ो »दीन की तब्लीग़ में मेहनत
सय्यिदिना रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) इस्लाम की शुरुआत के ज़माने में (जब दीन कमजोर था और दुनिया मज़बूत थी) बे तलब (जिन में शौक़ नही उन) लोगों के घर जा जा कर उन की सभा में बिला तलब (बिन बुलाये) पहुंच कर दावत देते थे, तलब के प्रतिक्षा नही करते थे. कुछ स्थानों पर...
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