Monthly Archives: July 2020

क़ुर्बानी के जानवर में सातवें हिस्से से कम हिस्सा लेना

सवाल – अगर क़ुर्बानी के जानवर के शुरका (भागीदारो) में से किसी शरीक (भागीदार) का हिस्सा सातवें हिस्से से कम हो, तो क्या तमाम शुरका (भागीदारो) की क़ुर्बानी दुरूस्त होगी?

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कामिल (संपूर्ण) षवाब वाला दुरूद

عن أبي هريرة رضي الله عنه قال قال رسول الله صلى الله عليه وسلم من سره أن يكتال بالمكيال الأوفى إذا صلى علينا أهل البيت فليقل اللهم صل على محمد النبي الأمي وأزواجه أمهات المؤمنين وذريته وأهل بيته كما صليت على إبراهيم إنك حميد مجيد أخرجه أبو داود في سننه وعبد بن حميد في مسنده وأبو نعيم عن الطبراني كلهم من طريق نعيم المجمر عنه وكذا هو عندنا في حديث ابن علم الصفار عن أبي بكر بن أبي خيثمة...

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अज़ान और इक़ामत की सुन्नतें और आदाब-(भाग-१३)

(१) अगर बहोत सी क़ज़ा नमाज़ें एक साथ अदा की जाऐं, तो हर नमाज़ के अलग अलग अज़ान देना जाईज़ है और अगर तमाम क़ज़ा नमाज़ों के लिए एक ही अज़ान दी जाए, तो भी काफ़ी है. यहांतक के हर नमाज़ के लिए इक़ामत अलग होनी चाहिए...

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किसी की तरफ़ से उस की इजाज़त के बग़ैर वाजिब क़ुर्बानी करना

सवाल – अगर किसी की वाजिब क़ुर्बानी उस की इजाज़त के बग़ैर कर दी जाए, तो क्या उस की वाजिब क़ुर्बानी दुरूस्त होगी?

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शहर में ईदुल अज़हा की नमाज़ की अदायगी से पहले गांव में कुर्बानी का जानवर ज़बह करना

सवाल – एक आदमी शहर में रेहता है. उस ने अपनी क़ुर्बानी का जानवर गांव में भेज दिया. वह जानवर गांव में शहर में ईद की नमाज़ होने से पेहले ज़बह कर दिया गया, तो क्या यह क़ुर्बानी दुरूस्त होगी?

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दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले के लिए नबी सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम की शफ़ाअत

عن أبي هريرة عن النبي صلى الله عليه وسلم قال من قال اللهم صل على محمد وعلى آل محمد كما صليت على إبراهيم وعلى آل إبراهيم وبارك على محمد وعلى آل محمد كما باركت على إبراهيم وعلى آل إبراهيم وترحم على محمد وعلى آل محمد كما ترحمت على إبراهيم وعلى آل إبراهيم شهدت له يوم القيامة بشهادة وشفعت له بشفاعة أخرجه البخاري في الأدب المفرد وأبو جعفر الطبري في تهذيبه والعقيلي...

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अल्लाह तआला का मख़लूक़ के साथ मामला

(१) अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त अपने बंदो पर बेहद(असिमित) मेहरबान हैं. अपने बंदो से बेइन्तेहा मुहब्बत करने वाले हैं और अल्लाह तआला निहायत हलीम और बुर्दबार(सहिष्णु) हैं. गुनाहों को बख़्शने वाले हैं और तौबा करने वाले हैं...

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अज़ान और इक़ामत की सुन्नतें और आदाब-(भाग-१२)

अज़ान देने के समय निम्नलिखित सुन्नतों और आदाब का लिहाज़ रखा जाए (१) अज़ान और इक़ामत के दरमियान इतना वक़फ़ा(अंतर) करना के लोग अपनी ज़रूरियात से फ़ारिग़ हो कर नमाज़ के लिए मस्जिद आ सकें.[१] عن جابر رضي الله عنه أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال لبلال: إذا …

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