हज्ज

एहराम बांधने के बाद सफर पर कादिर न होना.

सवाल – एक आदमी ने हज्ज या उमरह का एहराम बांध लिया, लेकिन उस को एसी बिमारी लाहिक हो गई के अब वह सफरे हज्ज पर नही जा सकता हे, इस मसअलह में शरीअत क्या कहती है? ओर वह आदमी एहराम से कैसे निकलेगा?

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क्या उस औरत पर हज्ज फर्ज हे, जिस के पास महरम न हो.

सवाल – एक औरत के पास हज्ज की इस्तिता’अत (ताकत) है, मगर उस के साथ जानेवाला कोइ महरम रिश्तेदार नहीं है, तो क्या उस पर हज्ज फर्ज होगा?

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व्यापार संभालने के लिए मुनासिब (उपयुक्त) आदमी न मिलने की वजह से हज्ज बाद में अदा करना ?

सवाल – एक आदमी हज की इस्तिता’अत (ताकत) रखता है, लेकिन वो हज के लिए नहीं जा रहा है, क्योंकि उस को कोई ऐसा मुनासिब आदमी नहीं मिल रहा है, जो उस की गैर मौजुदगी में उस की तिजारत (व्यापार) संभाल सके. इस बारे में शरीअत क्या केहती है?

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कया कई एकड जमीन के मालिक पर हज्ज फर्ज हे ?

सवाल – एक शख्स कई एकड़ ज़मीन का मालिक है ओर वही ज़मीन उस के लिए कमाने का ज़रीआ (स्त्रोत) है अगर वह शखस थोडी ज़मीन या पूरी ज़मीन फरोखत कर दे, तो उस के पास इतना माल होगा, जो हज के लिए काफी होगा तो क्या ऐसे शख्स पर …

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