सवाल - क्या शौचालय के अंदर, क़ज़ाऐ हाजत के दौरान अख़बारात, रीसाले वग़ैरह पढ़ना या फ़ोन और इंटरनेट वग़ैरह का इस्तिमाल दुरुस्त है?...
और पढ़ो »क़ज़ाए हाजत से संबंधित सवाल व जवाब
बयतुल ख़ला की सुन्नतें और आदाब- (भाग-७)
غُفْرَانَكَ اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِيْ أَذْهَبَ عَنِّيْ الْأَذٰى وَعَافَانِيْ[2]
"ए अल्लाह मेरी मग़फ़िरत फ़रमा. तमाम तअरीफ़ें अल्लाह तआला के लिए हैं, जिन्होंने मुझ से तकलिफ़ देनेवाली चीज़ों को दूर किया...
और पढ़ो »बयतुल ख़ला की सुन्नतें और आदाब- (भाग-६)
१४) इस बात का ख़ूब ध्यान रखना के पेशाब के छींटे बदन के किसी हीस्से पर न पडे. इस सीलसीले में ग़फ़लत, सख़्त अज़ाबे क़ब्र का बाइस है.[1]
عن أبي هريرة رضي الله عنه قال قال رسول الله صلى الله عليه وسلم أكثر عذاب القبر من البول ...
और पढ़ो »बयतुल ख़ला की सुन्नतें और आदाब- (भाग-५)
(१) बयतुलख़ला में न खाना और न पीना. (२) बयतुलख़ला में ज़रूरत से ज़्य़ादा वक्त न गुजारना.[१] अगर बयतुलख़ला चंद लोगों के दरमियान मुशतरक हो या वह बयतुलख़ला सब के लिए हो, तो ज़रूरत से ज़्य़ादा वक़्त सर्फ़ करना, दुसरों के लिए तकलिफ़ का कारन होगा. (३) अकडुं बैठ कर …
और पढ़ो »बयतुल ख़ला की सुन्नतें और आदाब- (भाग-४)
८) इस्तिन्जा के लिए बायें हाथ का इस्तिमाल करना. दायें हाथ से इस्तिन्जा करना नाजाईज़ है.
عن عبد الله بن أبي قتادة عن أبيه رضي الله عنه عن النبي صلى الله عليه وسلم قال إذا بال أحدكم فلا يأخذن ذكره بيمينه ولايستنجي بيمينه (صحيح البخاري، الرقم:۱۵٤۔۔۔
और पढ़ो »बयतुलख़ला की सुन्नतें और आदाब-(भाग-३)
६) इज़ार (पतलून) और लुंगी वग़ैरह खङें हो कर न उतारना, बल्कि ज़मीन के क़रीब हो कर उतारना (जब बेठने लगे, तब खोलना) ताकि कम से कम सतर ज़ाहिर हो.[1]
عن ابن عمر رضي الله عنهما قال كان النبي صلى الله عليه وسلم إذا أراد الحاجة لا يرفع ثوبه حتى يدنو من الأرض (سنن أبي داود، الرقم: ١٤)...
और पढ़ो »बयतुलख़ला की सुन्नतें और आदाब- (भाग-२)
३) बयतुलख़ला में दाख़िल होने से पेहले हर उस चीज़ (मसलन अंगूठी,चैन) को नीकाल देना, ज़िस पर अल्लाह तबारक व तआला या रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि व सल्लम) का नाम लिखा हुवा या क़ुरआने करिम की कोई आयत दर्ज हो... और पढ़ो »
बयतुलख़ला की सुन्नतें और आदाब- (भाग-१)
हज़रत जाबिर (रज़ि.) से रिवायत है के नबी (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) “क़ज़ाए हाजत के लिए एसी जगह तशरीफ़ ले जाते के कोई न देख सके.”...
और पढ़ो »बयतुलख़ला की सुन्नतें और आदाब
(१) क़ज़ाए हाजत एसी जगह करना, जहां लोगों की नीगाहें न पडती हों, यअनी लोगों की नीगाहों से छुप कर क़ज़ाए हाजत करना.[1] عن جابر بن عبد الله رضي الله عنهما قال إن النبي صلى الله عليه وسلم كان إذا أراد البراز انطلق حتى لا يراه أحد (سنن أبي داود، …
और पढ़ो »