जनाज़ा

मय्यित की तकफ़ीन

मय्यित (मर्द) का कफ़न बिछाने और पेहनाने का तरीक़ा (१) मर्दकेकफ़नमेंतीनकपड़े मस्नूनहैः कमीज(कुर्ता), इज़ारऔरलिफ़ाफ़ा(चादर). (२) इज़ारसरसेलेकर पैर तकहोनाचाहिए. लिफ़ाफ़ा(चादर), इज़ारसेथोड़ा लंबाहोऔरकमीज(कुर्ता) गर्दन सेपैरतकहोनाचाहिए....

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मय्यित को नेहलाने का तरीक़ा-भाग-२

वुज़ु गुसल देनेवाला मय्यित को इस्तिन्जा कराने के बाद वुज़ु कराए. मय्यित को वुज़ु कराने का तरीक़ा वही है जो जीवित शख़्स के लिए है.(जो सुन्नतें जीवित शख़्स के लिए हैं, मय्यित को वुज़ु कराने में भी उन का ख़्याल रख्खा जाएगा) मात्र इतना फ़र्क़ है के मय्यित को कुल्ली …

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मय्यित को नेहलाने का तरीक़ा-भाग-१

जब मय्यित के गुसलऔर कफ़न दफ़न का प्रबंध हो जाए, तो मय्यित को स्ट्रेचर या तख़्त पर लिटा देंऔर गुसल के लिए ले जाऐं. अगर मुमकिन हो तो  तख़्त यास्ट्रेचर को तीन, पांच या सात दफ़ा किसी ख़ुश्बुदारचीज़ की धुनी दे दें, ताकि अगर मय्यित के बदन से किसी प्रकार की बदबू ख़ारिज हो...

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मौत के बाद तुरंत क्या करना चाहिए ?

जब किसी की रूह निकल जाए, तो उस की आंखें बंद कर दो, सारे अंग ठीक कर दो, हाथों को उस के किनारे कर दो, उंगलियों और जोड़ों को ढीला कर दो, मुंह को इस तरीक़े से बांध दो के एक कपड़ा थोड़ी के नीचे से निकालो और उस के …

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मौत के वक़्त कलमए शहादत की तलक़ीन

जो लोग क़रीबुल मर्ग (मरने वाले) के पास बैठे हों, उन के लिए मुस्तहब है के आवाज़ के साथ कलमए शहादत पढ़हें, ताकि उन का कलमा सुन कर क़रीबुल मर्ग (मरनेवाला) भी कलमा पढ़ने लगे.(इस को शरीअत में कलमए शहादत की तलक़ीन कहा जाता है...

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ज़िंदगी की अंतिम सांसे

जब इन्सान की सांस उखड़ जाए और सांस लेना कठिन हो जाए, बदन के अंग ढीले पड़ जाए के खड़ा न हो सके, नाक टेढ़ी हो जाए, कनपटयाँ  बैठ जाऐं, तो समझना चाहिये के उस की मौत का वक़्त आ गया है. शरीअत में ऐसे शख़्स को “मुहतज़र” (क़रीबुल मर्ग) कहा गया है...

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ज़िंदगी के अंतिम क्षण

كُلُّ نَفْسٍ ذَائِقَةُ الْمَوْتِ

"हर जानदार को मौत का मज़ा चखना हे." (सूरऎ आली इमरान)

मौत ऎक ऎसी अटल हक़िक़त (सच्चाई) है, जिस से किसी को छुटकारा नहीं है. मौमिन और काफ़िर दोनों  ने इस की हक़्क़ानियत (सच्चाई) का स्वीकार किया हैं...

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