रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के रवज़ए मुबारक की ज़ियारत के फ़ज़ाईल नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की शफ़ाअत का हुसूल हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमायाः जो शख़्स मेरी क़बर की ज़ियारत करे, उस के लिए मेरी शफ़ाअत वाजिब …
और पढ़ो »अल्लाह त’आला की बारगाह में हज़रत स’अ्द रदि अल्लाहु ‘अन्हु की दुआओं की क़ुबूलियत
नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हज़रत स’अ्द रदि अल्लाहु ‘अन्हु के लिए दुआ फ़रमाई:…
मौत के लिए हर एक को तैयारी करना है
शेखु-ल-ह़दीस हज़रत मौलाना मुह़म्मद ज़करिया रहिमहुल्लाह ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमाया: मैं एक बात बहुत स…
हज़रत स’अद बिन अबी वक्कास रदि अल्लाहु ‘अन्हु को जन्नत की बशारत
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु ‘अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया: स’अद जन्नत में होंगे (वो उन लोगों में स…
सूरह इखलास की तफ़सीर
قُل هُوَ اللّٰهُ اَحَدٌ ﴿١﴾ اللّٰهُ الصَّمَدُ ﴿٢﴾ لَم يَلِدْ وَلَم يُوْلَد ﴿٣﴾ وَلَمْ يَكُن لَ…
आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के नज़दीक आप के रिश्तेदारों में सबसे ज़्यादा मह़बूब
जब हज़रत फातिमा रदि अल्लाहु ‘अन्हा का निकाह हज़रत अली रदि अल्लाहु ‘अन्हु से हुआ, तो आप स…
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नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की शफ़ाअत का हुसूल
“जिस शख़्स ने मेरी क़बर की ज़ियारत की, उस के लिए मेरी शफ़ाअत ज़रूरी हो गई.”...
और पढ़ो »मदीना मुनव्वरह की सुन्नतें और आदाब – १
मदीना मुनव्वरह की ज़ियारत मदीना मुनव्वरह में हज़रत रसूले ख़ुदा (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के रवज़ए मुबारक पर हाज़री इन्तिहाई अज़ीम सआदत और बड़ी नेअमतों में से है जिस से किसी मोमिन को सरफ़राज़ किया जा सकता है. अल्लाह सुब्हानहु वतआला जिस शख़्स को यह सआदत नसीब फ़रमाए, उस को चाहिए …
और पढ़ो »दुरूद शरीफ़ पढ़ने की बरकत से ज़रूरतों की तकमील
“जो शख़्स मेरी क़बर के पास खड़ा हो कर मुझ पर दुरूद पढ़ता है में उस को ख़ुद सुनता हुं और जो किसी और जगह दुरूद पढ़ता है तो उस की दुनिया और आख़िरत की ज़रूरतें पूरी की जाती हैं और में क़यामत के दिन उस का गवाह और उस का सिफ़ारिशी होवुंगा”...
और पढ़ो »क़ुर्बानी की सुन्नतें और आदाब
(१) दिने इस्लाम में क़ुर्बानी एक अज़ीमुश्शान इबादत है. चुनांचे क़ुर्आने करीम में क़ुर्बानी का विशेष ज़िकर आया है. तथा क़ुर्आने करीम और अहादीषे मुबारका में क़ुर्बानी की बड़ी महत्तवता और फ़ज़ीलतें वारिद हुई हैं. अल्लाह सुब्हानहु व तआला का इरशाद हैः لَن يَنَالَ اللَّهَ لُحُومُهَا وَلَا دِمَاؤُهَا وَلَٰكِن يَنَالُهُ …
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