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वुज़ू की सुन्नतें और आदाब-भाग-८

२२) हर अंग को अच्छी तरह रगड़ना यहां तक के इस बात का यक़ीन हो जाए के पानी हर अंग को पहोंच गया है. २३) तमाम अंग को पै दर पै यानी एक अंग को दूसरे अंग के बाद बगैर किसी ताख़िर के धोना. २४) वुज़ू के दौरान दुन्यवी उमूर के मुतअल्लीक बात चीत न करना...

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मुसलमान औरत(स्त्री) की ग़ैर मौजूदगी में मुसलमान औरत को ग़ुसल देने के अहकाम(आदेश)

अगर किसी की बीवी(पत्नी) का इन्तेक़ाल(मृत्यु) हो जाए और उस को ग़ुसल देने वाली कोई मुस्लिम औरत(स्त्री) मौजूद न हो, फिर भी शोहर(पति) के लिए जाईज़ नहीं है के उस को ग़ुसल दे या उस के बदन को नंगे हाथ मस करे...

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हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ि.) का दुरूद

عَنِ ابْنِ عَبَّاسٍ رَضِيَ اللهُ عَنهُمَا أَنَّهُ كَانَ إذَا صَلَّى عَلَى النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيهِ وَ سَلَّمَ قَالَ: اللَّهُمَّ تَقَبَّلْ شَفَاعَةَ مُحَمَّدٍ الْكُبْرَى، وَارْفَعْ دَرَجَتَهُ الْعُلْيَا، وَآتِهِ سُؤْلَهُ فِي الْآخِرَةِ وَالْأُولَى، كَمَا آتَيْتَ إِبْرَاهِيمَ، وَمُوسَى (القول البديع ۱۲۲)...

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वुज़ू की सुन्नतें और आदाब-भाग-७

१९) जब वुज़ू मुकम्मल हो जाए, तो कलीमए शहादत पढना (अगर आप खुली जगह में हें, तो कलीमए शहादत पढते हुए आसमान की तरफ़ देखें). नीज़ अहादिसे मुबारका में वारिद दीगर मस्नून दुआऐं पढना. नीचे कुछ मस्नून दुआऐं नक़्ल की जाती हैं, जो वुज़ू के अंत में पढी जाए...

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