मज़ी और मनी में फ़र्क

सवाल – मैं अकसर अवक़ात किसी से बात करुं तो मेरा पानी निकल जाता है, तो उस पर गुसल करना पडता है और उस से रोज़ह तो बातील(टुटता) नही होता? मेरी निय्यत ख़राब नहीं होती लेकीन पता नही कया मस्अला है, बराए मेहरबानी कुछ बता दें इस बारे में और मज़ी ओर मनी में कया फ़र्क हे वो भी बता दें ?

जवाब – बात ही न करें, ताके पानी न निकले. अस्तगफ़ार करो.

मनी तो जोश ओर क़ुव्वत से निकलता हे ओर मज़ी जोश ओर क़ुव्वत से नही निकलता वो धीरे धीरे से निकलता है, मनी के निकलने से गुसल वाजिब होता है, और मज़ी अगरचे नापाक है मनी की तरह लेकीन उसके निकलने से गुसल नही टूटता अलबत्ता वुज़ू टुटता है.

अल्लाह तआला ज़्यादा जानने वाले हैं.

قال والمعاني الموجبة للغسل إنزال المني على وجه الدفق والشهوة من الرجل والمرأة حالة النوم واليقظة (الهداية 1/31)

قال وليس في المذي والودي غسل وفيهما الوضوء لقوله عليه الصلاة والسلام كل فحل يمذي وفيه الوضوء والودي الغليظ من البول يتعقب الرقيق منه خروجا فيكون معتبرا به والمني خاثر أبيض ينكسر منه الذكر والمذي رقيق يضرب إلى البياض يخرج عند ملاعبة الرجل أهله والتفسير مأثور عن عائشة رضي الله تعالى عنها (الهداية 1/33)

जवाब देनेवालेः

मुफ़ती इब्राहीम सालेहजी

 

Source: http://muftionline.co.za/node/3269

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