अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर की ज़िम्मे दारी – प्रकरण २

अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर करने वालों की महान फ़ज़ीलत और बुलंद मर्तबा 

दुनिया में हमारा मुशाहदा है के कोई भी मज़हब तथा दीन सिर्फ़ उसी सूरत में बाक़ी रेह सकता है और फैल सकता है, जब उन के लोगों में से कोई जमाअत हो जो उस मज़हब के दीन की तब्लीग और प्रकाशन करती है.

इसी वजह से हर नबी ने अपने ज़माने में अपने पैरो कारों को हुक्म दिया था के वह लोगों के दरमियान उन के दीन की तब्लीग़ करें और उन की तालीमात को फैलाऐं.

लेकिन कुछ मुद्दत गुज़रने के बाद पिछले अंबियाए किराम (अलै.) की मज़हबों को उन की क़ौमों ने बदल दिया और एसी चीज़ें उस में इजाद कर दी जो उस दीन में नहीं थी.

जहां तक दीने इस्लाम की बात है, तो अल्लाह तआला ने उस की हिफ़ाज़त तथा सियानत की ज़िम्मेदारी ली है, लिहाज़ा यह दीन क़यामत तक हर तरह की तहरीफ़ तथा तग़यीर से महफ़ूज़ रहेगा, अगरचे दुश्मनाने इस्लाम उस को मिटाने और उस की रोशनी को बुझाने की अनथक कोशिश करें.

इस्लाम का दिफ़ाअ करने वाली जमाअत

हज़रत रसूले ख़ुदा (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) का इरशाद है के मेरी उम्मत की एक जमाअत हंमेशा अल्लाह तआला के अहकाम (यअनी शरीअत के अहकाम) पर क़ाईम रहेगी. उस जमाअत को वह लोग नुक़सान नहीं पहोंचा सकेंगे. जो उन का साथ न दें तथा उन की मुख़ालफ़त करें (यअनी यह जमाअत दीन को फैलाते रहेंगे और दीन का दिफ़ाअ करते रहेंगे), यहां तक के अल्लाह तआला का हुकम उन पर आ जाए इस हाल में के वह दीन पर क़ाईम है (यअनी उन पर मौत आ जाए तथा वह दुश्मन पर ग़ालिब आ जाए). (बुख़ारी शरीफ़)

इस हदीष में जिस जमाअत का ज़िकर हुवा है उन से मुराद सहाबए किराम (रज़ि.) और उम्मत के वह नेक उलमा और अफ़राद हैं जो हर ज़माने में दीने इस्लाम की हिफ़ाज़त तथा सियानत में ज़र्रा बराबर कोताही नहीं करते हैं.

एक दूसरी हदीष शरीफ़ में है के रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के हर ज़माने के मोअतमद उलमा इस इल्म को हासिल करेंगे और उस की हिफ़ाज़त करेंगे और वही लोग हद से तज़ावुज़ करने वालों की तहरीफ़ को, अहले बातिल की इफ़तिरा परदाज़ी और जाहिलों की तावीलात को इस इल्म से दूर करेंगे. (शर्ह मुश्किलुल आषार)

दीन पर क़ाईम रेहने वाले और दीन का दिफ़ाअ करने वाले का बुलंद मर्तबा

हमारे आक़ा तथा मौला नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने अपनी उम्मत को क़यामत से पेहले एसा सख़्त ज़माना आने की पेशन गोई फ़रमाई है, जो फ़ित्नो और आज़माईशों से पुर होगा, उस ज़माने में दीन के दुश्मन इस्लाम पर हर तरफ़ से हमला आवर होंगे और मुसलमानों से खुल्लम खुल्ला (बर सरे पैकार होंगे) लडे़ंगे, दीन के दुश्मन इस्लाम को पूरे तौर पर मिटाने के दरपे होंगे और अकषरो बैश्तर लोग नफ़सानी ख़्वाहिशात और फ़ित्नों में मुब्तला होंगे. उस दौर में दीन पर क़ाईम रेहना इन्तिहाई दुश्वार होगा.

उन फ़ित्नो की सख़्ती को बयान करते हुए नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के लोगों पर एक एसा ज़माना आएगा के जो शख़्स दीन पर मज़बूती से क़ाईम रहेगा वह उस शख़्स की तरह होगा जो हाथ में जलता हुवा अंगारा थाम ले. (तिर्मिज़ी शरीफ़)

लिहाज़ा जो लोग इस पुर फ़ितन दौर में अपनी व्यक्तिगत और सामुहिक जिवन में दीन पर मज़बूती से क़ाईम रहेंगे और सुन्नत पर ज़िवित करेंगे, जहां कहीं वह जाए, वह लोगो अल्लाह तआला के बर गुज़ीदा (पसंदीदा) बंदे होंगे, जिन्हें जन्नत की ख़ुश ख़बरी दी गई है.

चुनांचे एक हदीष शरीफ़ में है के नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के इस्लाम का आग़ाज़ ग़ुर्बत की हालत में हुवा है और अनक़रीब वह ग़ुर्बत की हालत में वापस हो जाएगा जिस तरह इब्तिदा में था, पस ख़ुश ख़बरी है ग़ुरबा के लिए. (मुस्लिम शरीफ़)

एक दूसरी रिवायत में है के गुरबा के लिए (जन्नत की) ख़ुश ख़बरी है (और यह वह लोग हैं) जो मेरे दीन और सुन्नत को दुरूस्त करेंगे जिस को लोगों ने मेरे (दुनिया से जाने के) बाद तब्दील कर दिया है (यअनी बिगाड़ दिया है). (तिर्मिज़ी शरीफ़)

एक और रिवायत में है के नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने सहाबए किराम (रज़ि.) को इरशाद फ़रमाया के तुम लोगों को नेक कामों का हुकम देते हो और उन को बुराई से रोकते हो और अल्लाह के रास्ते में जिहाद करते हो, लेकिन एक एसा समय आएगा के तुम पर (मेरी उम्मत पर) दुनिया की मोहब्बत ग़ालिब आएगी, तो उस समय तुम (मेरी उम्मत) नेक कामो का हुकम नहीं दोगे और बुराई से नहीं रोकोगे और अल्लाह के रास्ते में जिहाद नहीं करोगे, उस ज़माने के लोग जो किताबो सुन्नत पर अमल करेंगे उन मुहाजिरीन तथा अन्सार के मुशाबेह होंगे (जो इस्लाम के शुरू में दीन के लिए क़ुर्बानियां दी है). (मजमउज ज़वाईद)

इस हदीषे पाक से उन लोगों की फज़ीलत तथा अज़मत अच्छी तरह ज़ाहिर है जो अम्र बिल मअरूफ और नही अनिल मुनकर का फ़रीज़ा अन्जाम देते हैं, क्युंकि वह दीन की हिफाज़त तथा सियानत के लिए अंबियाए किराम (अलै.) के नक़शे क़दम पर चल रहे हैं.

Source: http://ihyaauddeen.co.za/?p=18719


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