(९) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल

मय्यित के जिस्म पर नाख़ुन पालिश और बनावटी बाल

सवालः- अगर मय्यित के नाख़ुनों पर नाख़ुन पालिश लगी हो, तो क्या ग़ुसल देने वालों को उस का निकालना ज़रूरी है?

जवाबः- मय्यित के ग़ुसल के दुरूस्त होने के लिए ज़रूरी है के मय्यित के जिस्म के तमाम हिस्सों तक पानी पहोंच जाए. अगर पालिश की वजह से पानी नाख़ुनों तक न पहोंचेगा, तो ग़ुसल पूरा नहीं होगा और जब ग़ुसल पूरा नहीं होगा तो ग़ुसल दुरूस्त नहीं होगा, लिहाज़ा ग़ुसल के दुरूस्त होने के लिए नाख़ुन पालिश का निकालना ज़रूरी है.

नाख़ुन पालिश निकालने के लिए किसी एसी चीज़ का उपयोग किया जाए जिस से पालिश पूरे तौर पर निकल जाए और नाख़ुन साफ़ हो जाए, ताकि मय्यित के बदन के हर हिस्से पर पानी पहोंच सके.

सवालः- अगर मय्यित के सर के बालों के साथ बनावटी बाल (विक) लगे हुए हों (ख़्वाह वह बाल इन्सान का बाल हों तथा ग़ैर इन्सान का बाल हों), तो क्या ग़ुसल देने वालों को ग़ुसल के समय उस बनावटी बाल (विक) का निकालना ज़रूरी है?

जवाबः- ग़ुसल के दुरूस्त होने के लिए बनावटी बाल (विक) को निकालना ज़रूरी है, ताकि पानी मय्यित के पूरे सर और पूरे बदन को पानी पहोंच सके. [१]

नोटः- बनावटी बाल (विक) का पहनना जाईज़ है, बशर्त यह के बनावटी बाल (विक) इन्सान के बाल से बनाया हुवा न हो, अगर बनावटी बाल (विक) इन्सान के बाल से बनाया हुवा हो, तो उस बनावटी बाल (विक) का पहनना हराम है और आदमी गुनहगार होगा. हदीष शरीफ़ में सख़्त वईद आई है एसे लोगों के लिए जो इन्सान के बनावटी बाल (विक) को उपयोग करे. [१]

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[१] لأن ما بعد الموت معتبر بحالة الحياة (خلاصة الفتاوى ۱/۲۱۸) انظر أيضا أحسن الفتاوى ٤/ ۲۳۷

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