दुरूद शरीफ

कोई चीज़ भूलने के वक़्त दुरूद शरीफ़ पढ़ना

عن أنس رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: إذا نسيتم شيئا فصلوا علي تذكروه إن شاء الله تعالى (أخرجه أبو موسى المديني بسند ضعيف كما في القول البديع صـ ٤٤۸) हज़रत अनस (रज़ि.) से रिवायत है के रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया …

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मुलाक़ात के समय दुरूद शरीफ़ पढ़ना

हज़रत अनस (रज़ि.) से रिवायत है के नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “दो एसे मुसलमान जो सिर्फ़ अल्लाह तआला के वास्ते आपस में मुहब्बत करते हैं, जब वह एक दूसरे से मुलाक़ात करते हैं...

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नबिए करीम सल्लल्लाहु ‘अलैहि व सल्लम के मुबारक नाम के साथ दुरूद शरीफ़ लिखना

عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: من صلى علي في كتاب لم تزل الملائكة تستغفر له ما دام اسمي في ذلك الكتاب (المعجم الأوسط للطبراني، الرقم: ۱۸۳۵، وسنده ضعيف كما في كشف الخفاء، الرقم: ۲۵۱۸) हज़रत अबु हुरैरह रदि अल्लाहु ‘अन्हु से …

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मस्जिद में दाख़िल होने और मस्जिद से निकलने के समय दुरूद शरीफ़ पढ़ना

عن فاطمة رضي الله عنها قالت: كان رسول الله صلى الله عليه وسلم إذا دخل المسجد صلى على محمد وسلم وقال رب اغفر لي ذنوبي وافتح لي أبواب رحمتك وإذا خرج صلى على محمد وسلم وقال رب اغفر لي ذنوبي وافتح لي أبواب فضلك (سنن الترمذي، الرقم: ٣١٤، وحسنه) हज़रत …

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फ़ज़र की नमाज़ और मग़रिब की बाद सो (१००) बार दुरूद शरीफ़

तो हज़रत उम्मे सुलैम (रज़ि.) ने एक शीशी ली और उस में आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) का मुबारक पसीना जमअ करने लगीं. जब आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) बेदार हुए, तो सवाल किया के “ए उम्मे सुलैम यह तुम क्या कर रही हो?”...

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हज़रत जिब्रईल ‘अलैहिस्सलाम और रसूले करीम सल्लल्लाहु ‘अलैहि व सल्लम की बद दुआ

जो बुलंद आवाज़ से दुरूद शरीफ़ पढ़ेगा, उस को जन्नत मिलेगी, तो में ने और मजलिस के दीगर लोगों ने भी बुलंद आवाज़ से दुरूद शरीफ़ पढ़ा. जिस की बरकत से अल्लाह तआला ने हमारे गुनाहों को माफ़ फ़रमाया और अल्लाह तआला ने हम सब को जन्नत में दाख़िल कर दिया...

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ऐसी मजलिस का अंजाम जिस में न अल्लाह का ज़िकर किया जाए और न ही दुरूद पढ़ा ‎जाए

ऐसी मजलिस जिस में अल्लाह तआला का ज़िकर नही किया और रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) पर दुरूद नहीं पढ़ा गया, उस को बहोत ज़्यादह बदबूदार मुरदार से तशबीह दी गई है जिस के क़रीब जाना कोई पसंद नही करता है...

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बे-मुरव्वती और नाशुकरी की अलामत

हज़रत क़तादा (रह.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) इरशाद फ़रमाया के “यह असभ्यता और नाशुकरी की बात है के किसी व्यक्ति के सामने मेरा तज़किरा किया जाए और वह मुझ पर दुरूद न भेजे.”...

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